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इस हिस्से में साईमन फ्रेज़र युनीवर्सिटी के कोहली संग्रह और इंडो-कनेडियन ओरल हिस्ट्री संग्रह से मौखिक इतिहास को दर्ज करते कई इंटरव्यूस शामिल किये गए हैं। जिन विविध व्यक्तियों को पेश किया गया है, वे साउथ एशियन बिरादरी के अगुआ थे। उनकी कहानियों, उनके इतिहास, किस्सों और अनुभवों के ज़रिये फिर सामने उभर आती है कनाडा में जी गयी ज़िन्दगी की तस्वीर। यह दुर्लभ मौखिक इतिहास प्रथम विद्वानों और इतिहासकारों की झलक पेश करता है, जिनके समर्पण ने एक समाज की कहानी को संभाल के रखा।

यहाँ हमने पहली बार डिजिटाईज़ किये गए दो विशेष भाषण भी पेश किये हैं। ये दोनों भाषण, नवंबर १९४९ में वेंकूवर सफर पर आये प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु द्वारा दिये गए थे। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु विशेष रूप से वेंकूवर इसलिए आये थे, क्योंकि एतिहासिक तौर पर कामागाटा मारू घटना में ठोस साउथ एशियन उपस्तिथी थी। उन्होंने कई मुद्दों को छुआ था जैसे कि बंटवारा, महात्मा गांधी की ह्त्या, भारत से बाहर रह रहे भारतीयों की भूमिका, और कनाडा और भारत की एक दूसरे जैसी मान्यताएं।

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